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लेखनी कहानी -25-Sep-2022 सेंवई की खीर

सेंवई की खीर 


"अरे, पकड़ो पकड़ो । भागा ,भागा" नन्हे कान्हा के पीछे चांदी की कटोरी में "सेरेलक्स" लेकर दौड़ती हुई सिया बोली ।
"जायेगा कहां बेटा ? पीछे मम्मा पड़ी है और आगे अम्मा खड़ी है । बच्चू , बच के कहां जायेगा" ? अम्मा कान्हा को पकड़ने के लिये लपकी ।

ये दिन भर का काम था दोनों का । कान्हा नौ महीने का था । घुटने घुटने चलता था । दूध तो आसानी से पी लेता था लेकिन उसे कुछ भी खाने में जोर आता था । सिया उसके लिये तरह तरह का खाना तैयार करती थी । कभी ओट्स, कभी रागी, कभी सेरेलक, कभी दाल तो कभी मैश किये हुये चावल, केला , बादाम वगैरह । पर कान्हा भी कुछ कम नहीं था । वह एक दो ग्रास तो खा लेता था मगर उसके बाद वह एक ग्रास मुंह में रख लेता और उसे निगलता ही नहीं था । मुंह में लेकर बैठा रहता था । बिल्कुल हनुमान जी लगता था वह तब । उसका वह मुंह देखकर बहुत हंसी आती थी । 

केशव प्रसाद यह तमाशा रोज देखते थे । अभी तीन दिन पहले ही तो वे रिटायर हुये थे । उनका अधिकांश समय कान्हा के साथ ही गुजरता था । दादा पोते में खूब पटती भी थी । जब जब भी उसकी मम्मी और अम्मा उस पर "इमोशनल अत्याचार" करती थीं तब तब केशव प्रसाद को बहुत दुख होता था । नन्हा कान्हा भी उनकी तरफ बड़ी कातर निगाहों से देखता था जैसे वह कह रहा हो "बचा लो मुझे दादू इन दोनों देवियों से" । बेचारे केशव प्रसाद मन ही मन सोचते "बेटा , मैं खुद को जिंदगी भर तेरी अम्मा से नहीं बचा पाया तो अब तुझको कैसे बचाऊंगा" ? मगर फिर भी वे अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करके दोनों को डांट लगाकर कहते "जब वह नहीं खा रहा है तो जबरदस्ती क्यों खिला रहे हो" ? 

जैसा कि आमतौर पर होता है , महिलाएं किसी के बाप की भी नहीं सुनती हैं फिर बेचारे पति की तो बिसात ही क्या है ? बहू तुरंत प्रतिवाद करते हुए बोली "फिर पापा ये खायेगा क्या ? दिन भर भूखा रहेगा तो कैसे चलेगा ?" । रजनी अपनी बहू का साथ देते हुए बोली "सिया सही तो कहती है । कुछ तो खिलाना पड़ेगा ना नहीं तो भूखा चिल्लायेगा यह" । 

पर केशव प्रसाद जी भी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे उन्होंने अपनी थाली में से रोटी का एक बहुत छोटा सा टुकड़ा लिया और उसे अच्छी तरह से "मैश" किया और हल्के से आलू के साथ उन्होंने अपना हाथ कान्हा के मुंह की ओर बढाया । कान्हा ने एक बार अपने दादू को देखा और फिर अपना मुंह खोल दिया । केशव प्रसाद जी ने गर्व से दोनों महिलाओं की ओर देखते हुये वह छोटा सा ग्रास कान्हा को खिला दिया । कान्हा मजे से उसे खाने लगा । अब तो केशव जी की बन आई । एक ग्रास और खिलाया तो कान्हा ने फिर से मुंह खोल दिया । केशव प्रसाद जी बोले "कान्हा के साथ जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती है । उसे जो अच्छा लगेगा वही खायेगा । ये सेरेलक, रागी, ओट्स वगैरह खा खाकर बोर हो गया है वह । कुछ नई चीजें ट्राई करो तो कोई बात बने" 

महिलाओं का स्वभाव है कि वे अपनी सोच के बाहर जाती ही नहीं है । तो रजनी और सिया कैसे चली जातीं ? और कोई उन्हें सलाह देने की कोशिश करे तब तो बात ही क्कया है ? और अगर यह हिमाकत "पतिदेव" करें तब तो अक्षम्य अपराध बन जाता है । केशव प्रसाद जी से अक्षम्य अपराध तो हो गया था अब उन्हहें सजा के लिए तैयार रहना चाहिए  । रजनी कहने लगीं "हर चीज ट्राई कर ली , कुछ नहीं खाता है । देखिए  कितना कमजोर हो गया है ? कुछ आप भी कीजिए,  बस बैठे बैठे सलाह ही देते रहेंगे क्या" ?

केशव प्रसाद जी की बोलती बंद हो गई । वाकई, कान्हा कमजोर तो लगता है हालांकि शैतान बहुत है । एक जगह कहीं टिकता ही नहीं है । लेकिन बच्चे तो गोलू मोलू ही अच्छे लगते हैं । पर वे करें भी तो क्या करें ? बेचारी दोनों दिन भर उसी में लगी रहती हैं । अब तो कान्हा समझने भी लगा है । जैसे ही वह इनके हाथों में कटोरी देखता है, तुरंत भाग कर केशव प्रसाद जी के पास आ जाता है । केशव प्रसाद जी उसे दोनों से बचाने के लिए गोदी में उठा लेते हैं । मगर बिल्ली के पंजे से कभी चूहे का बच्चा बचा है क्या ? वे दोनों उसे खिलाकर ही मानती हैं । कान्हा के पूरे चेहरे पर सेरेलक या अन्य कोई खाद्य पदार्थ लिसड़ जाता है । उसका चेहरा देखकर केशव प्रसाद बहुत जोर से हंसते हैं और छोटा सा कान्हा ? उन्हें इस तरह हंसता देखकर भौंचक्का सा रह जाता है । उसका लिसड़ा हुआ चेहरा ऐसा लगता है जैसे कोई शेर अपना शिकार खाकर जा रहा हो और चेहरे पर खून के निशान उसकी गवाही दे रहे हों । केशव प्रसाद जी इतने व्यस्त हो गये थे कि उनको महसूस ही नहीं हो रहा था के वे रिटायर हो गये हैं । बच्चे के साथ केशव प्रसाद जी का बचपन लौट आया था । 

शाम को जब केशव प्रसाद जी डिनर के लिये बैठे तो तोरई की सब्जी और दाल देखकर चौंके । मीठा खाने की इच्छा हो गई । रजनी खाना बना रही थी । रजनी से कहने लगे "सेंवई की खीर खाये बहुत दिन हो गये हैं" । बाकी का मतलब सब जानते थे इसलिए आगे कहने की जरूरत ही नहीं थी । 
"आज तो खाना बन गया है , कल डिनर में सेंमई की खीर बन जायेगी" । रजनी ने कह दिया और बात आई गई हो गई । 

कान्हा की अठखेलियों में दो तीन दिन कब गुजर गये, पता ही नहीं चला । केशव जी को गाने बहुत आते थे । वे गाते भी ठीक ठीक थे । कान्हा को खूब गाने सुनाते थे । "चल चल चल मेरे साथी, ओ मेरे हाथी , चल ले चल खटारा खींच के" यह गाना कान्हा का फेवरिट गाना बन गया था । इसे सुनते सुनते वह सो जाता था । कान्हा को सुलाकर जब केशव जी डिनर टेबल पर आये तो उनके लिए खाना लगा दिया गया । खाना देखकर उन्हें याद आया कि उन्होंने एक दिन सेंवई की खीर की फरमाइश की थी । याद दिलाते हुए वो बोले "अरे, वो सेंवई की खीर का क्या हुआ" ? 
"हाय रे, मैं तो भूल ही गई" दांतों तले जीभ दबाते हुए रजनी बोली "कान्हा के चक्कर में मैं तो भोले भंडारी जी को ही भूल गई । अब कल बना दूंगी" । रजनी पश्चाताप की आग में जलने लगी । 
"कोई बात नहीं कल बना देना" कहकर केशव प्रसाद जी ने चैप्टर बंद कर दिया । 

अगले दिन फिर दोनों कान्हा में व्यस्त हो गईं । दिन भर उसके पीछे पीछे भागने और खाना खिलाने की मशक्कत किसी मिशन से कम नहीं थी । कब रात हो गई पता ही नहीं चला । डिनर का समय हो गया था मगर अभी तक कोई तैयारी नहीं हुई थी 
"स्विग्गी से मंगवा लेते हैं मम्मी । अब कौन बनायेगा खाना" ? सिया बोली ।
"ना बेटा ना । तू चाहे तो अपने लिए मंगवा ले । मुझे तो आज सेंवई की खीर बनानी है हर हाल में । वो दो बार कह चुके हैं । आज अगर सेंवई की खीर नहीं बनाई तो वो कहेंगे कुछ नहीं मगर उनके मन में यह खयाल आ जायेगा कि अब वे रिटायर हो गये हैं तो अब उनकी परवाह कौन करे ? ये खयाल आना सबसे बुरा है । इसके बाद वे कभी किसी चीज की कोई फरमाइश नहीं करेंगे । मैं उन्हें भलीभांति जानती हूं  इसलिए मैं सेंवई की खीर और देसी घी की पूरियां बना रही हूं । तू कोई सब्जी ऑर्डर कर दे और जो तुझे खाने में पसंद हो, वह ऑर्डर कर दे" । रजनी खीर बनाने की तैयारी करने लगी । 

सिया अवाक रह गई । मम्मी कितना ध्यान रखती हैं पापा का ! वह सोचने लगी कि काश सब पत्नियां ऐसे ही व्यवहार करें तो परिवार में कभी लड़ाई झगड़ा हो ही नहीं । उसे गृहस्थ धर्म निभाने का गुर मिल गया था । 

केशव प्रसाद जी कान्हा के साथ खेलते हुए ये सब सुन रहे थे । उन्हें रजनी की सोच पर फक्र हो रहा था । 

श्री हरि 
25.9.22 


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2 Comments

Reena yadav

26-Sep-2022 12:07 AM

👍👍

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Gunjan Kamal

25-Sep-2022 11:34 PM

शानदार

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